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बुधवार, 8 अप्रैल 2015

तुम्हारी ये बेड़ियाँ

जितना ज्यादा बंधन किया जाता है न, 
और जितना ज्यादा कसा जाता है किसी वस्तु को,
तो दो ही बातें हो सकती हैं,
या तो वो बंधन टूट जाएगा 
और आज़ादी मिलेगी,
नहीं तो,
जिसे कसा जा रहा है न वो टूट जायेगा, 
बिखर जायेगा,
और तब भी दो ही बातें हो सकती हैं, 
या तो वो बिखर कर मृत्यु को प्राप्त होगा, 
नहीं तो जितना बिखरा है न,
उतने टुकड़ों में फिर से नया जीवन आएगा, 
और तब,
हाँ तब तुम्हारी ये बेड़ियाँ कम,
बहुत कम पड़ जाएँगी,
किसी को फिर से बाँधने के लिए।