अभी तक इस ब्लॉग को देखने वालों की संख्या: इनमे से एक आप हैं। धन्यवाद आपका।

यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 20 दिसंबर 2017

ओह मी ! या मैं ! हे मैं ! और निओ एंडरसन

एक दिन गॉड, अल्लाह और ईश्वर में ही जंग छिड़ गयी कि उनके अनुयायी, उनकी असली पहचान को आगे बढ़ा रहे हैं, और वो ये साबित कर सकते हैं, क्यूंकि उनके न्यूज़ चैनल में बताया जाता है कि उनके फॉलोवर एकदम सही काम कर रहे हैं और महामहिम सर्वोच्च ताकत के प्रतिनिधि के रूप में गॉड, अल्लाह और ईश्वर बहुत ही सही धर्म चला रहे हैं। (वो न्यूज़ चैनल और पत्रकार निष्पक्ष होते हैं ठीक हमारे न्यूज़ चैनल और पत्रकारों के ही तरह)

सबके सब अपनी अपनी दलीलें दे रहे थे, अपने अपने शिक्षाओं का बढ़ा चढ़ा कर गुणगान कर रहे थे लेकिन गौर से सुना तो पाया कि वो सब एक ही बात बोल रहे थे। और फिर उन्होंने पाया कि असल में वो कुछ बोल ही  नहीं रहे थे और न ही उन्होंने कभी कुछ बोला, न किसी से मिले कभी और न ही कभी कोई धर्म नाम की चीज़ का आविष्कार किया। वो सब के सब न्यूज़ चैनल वालों की बातों में आ गये थे। 

अब वो तीनों नीचे आये इस धरती पर और अपने अपने अनुयायों को पहली बार दर्शन दिए, बात करी और सो कॉल्ड रिलिजन या धर्म या सम्रदाय के करता-धर्ताओं को सुना और समझा। तीनों ने सिर्फ एक बात बोली अपने अनुयायों को कि "ये सब तो गलत है, ऐसा न तो मैंने कभी कहा न ही ऐसा मैं दिखता हूँ और न ही मैं तुम्हारे पापों से कोई सरोकार रखता हूँ न पुण्यों से। तुम जो भी कर रहे हो वो झूठ और फरेब से लबरेज़ है।" 
इतना सुनते ही सो कॉल्ड अनुयायी अपनी अपनी सोर्डस, शमशीरें और तलवारें ले कर उनके पीछे भागे मारने को और बोले  "हमको गलत बोलता है, हमको गॉड प्रॉमिस, अल्लाह हु अकबर, ईश्वर की शपथ है तुमको जिन्दा नहीं छोड़ेंगे !!!"          
पसीने से नहा गए तीनों और तब  भागते हुए इस धरा से गॉड बोले " ओह मी !!!"  अल्लाह बोले  " या मैं !!!" और ईश्वर बोले "हे मैं !!! 
ये इंसानों ने किसे भगवान बनाया है? किसे धर्म की संज्ञा दी है? कौन हैं ये?"
 
और ये कहते हुए तीनों एक जगह रुके और गौर से देखा कि वहां तीन शीशे थे और तीनों शीशों में तीन अक्स दिख रहे थे पर वास्तव में वहां कोई नहीं नहीं था। असल में वो एक मैट्रिक्स में फंसे हुए थे जहाँ उन्हें लगता था कि वो हैं, एक्सिस्ट करते हैं फिजिकली, जबकि उस मैट्रिक्स को इन्सानी दिमाग चला रहा था। और ये तीनों कोई निओ तो थे नहीं कि मैट्रिक्स को तोड़ देते। निओ याद है न?  "निओ एंडरसन" ?
                                      - अतुल सती 'अक्स'                          

गुरुवार, 7 दिसंबर 2017

नकलाकार कलाकार मेंढक

एक कहानी सुनाता हूँ बल जरा टक्क लगेकी सुनना वा। 

भोत पुरानी बथ है एक कुआँ था।  वहाँ पर बहुत ही सुन्दर सुन्दर मेंढक रहते थे और उस ज़माने में उनकी जबान "टर्र-टर्र" नहीं थी। उस टाइम पर वो मधुर सुमधुर आवाज़ के धनी थे। एक से एक टैलेंटेड थे।   
वो एकदम मस्त मौला थे और उसी कुएं से दिखने वाली रौशनी को आकाश समझते थे। उनकी सुबह और शाम मतलब दिन बहुत ही छोटे थे रात लम्बी थी बहुत। उन्हें तो ये भी नहीं पता था कि उस कुएँ के बाहर भी कोई दुनिया है, स्वछंद प्रकृति का एहसास है। वहां रहा भी जा सकता है और जिया भी जा सकता है।

अब कुछ बहुत ही सुरीले मेंढकों ने बहुत ही सूंदर तान लगाई।  अपनी मेहनत और साधना से वो उस कुँए से अलग अलग तरीकों से, साधनाओं से, किन्तु अपने खुद के प्रयासों से बाहर निकल गए। उस कुएँ से बाहर निकलने में उनकी अथक मेहनत थी। 
कुछ मेंढक दिन दोपहरी में निकल पाए पर एक मेंढक जिसकी आवाज़  बहुत सुरीली थी और जो सबसे ज्यादा चर्चित और यशश्वी था उसने जाते हुए एक राग आलापा। वो राग उसका खुद का बनाया हुआ था और वो था "टर्र टर्र" राग।

जिस वक़्त वो मेंढक निकल रहा था कुँए से ठीक उसी वक़्त पूनम का चाँद आसमान में उस कुएँ के ऊपर छाया हुआ था। टर्र टर्र अलाप करता हुआ जब वो मेंढक बाहर निकला जिसके चारों ओर धवल चाँद था और जिससे कुएं के तल से देखने पर वो घटना दैवीय सी लग रही थी। वो अकेला मेंढक था जो रात को बाहर निकल पाया। 

ये कहानी कथा का बाद क्या हुए वैते सुना अब।   

वैका बाद कुएँ के तली पर रहने वाले मेंढकों को जाने क्या हुआ बल सभी केवल "टर्र टर्र" राग का अलाप करते रहे और उस पहले मेंढक को कॉपी या कहिये उसके गीतों को कवर करने लगे। अपने राग अपने गानों की जगह बस "टर्र टर्र"  शॉर्टकट।   
अफ़सोस वो मेंढक बहुत से राग गा सकते थे अलग अलग और बहुत ही सुन्दर गीतों को रच सकते थे पर अफ़सोस आज भी वो मेंढक उसी कुएँ में हैं  बस अलग अलग तरीकों से "टर्र टर्र" करते हैं सब के सब।  जिसकी वजह से वो पहला "टर्र टर्र" गीत जो सुरीला था आज बस एक शोर बन कर रह गया है।  जब उन मेंढकों को बोला गया बल कुछ अफरु भी गाओ कब तक दूसरों के गानों को गाओगे? दुसरे की मेहनत को अपना बनाओगे? तो जानते हो उन मेंढकों ने टर्र टर्राते हुए क्या कहा?

"भैजी इसे बल टर्र-टर्र-टर्रवर कहते हैं, टर्र-टर्र-टर्रम्प्रोवाईजेशन कहते हैं इसे। हम बल फुन्दिआ मेंढक हैं आजकल की जनरेशन। तुम्हारा बल मैशप-टर्रशप करदेंगे। "

अब बोलो बल नक़ल नक़ल मार कर नकलाकार हैं ये और कलाकार कहते हैं खुद को बल। कण लगी बल ये कहानी बताना जरा।                                   
                          - अतुल सती 'अक्स'

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

अभी भी

सुन !!!
सुन ना !!!
बहुत वक़्त हुआ,
बहुत वक़्त से चाहा कि कहूँ,
कि  
बहुत सोचता हूँ मैं,
बहुत लिखता भी हूँ,
पर,
तमाम बातें सोचने पर भी,
      
आख़िरी एक ख़्याल है,  
अभी भी तू मेरे ख्यालों में। 

आज भी,
सच में,
दर-ब-दर भटकता हूँ,
अपने सवालों को लिए,
 पर,
तमाम जवाब सुनकर भी,

         
आखिरी जवाब है,
अभी भी तू मेरे सवालों में। 


बहुत,
बहुत खोजता हूँ तुझे,
तेरी खुशबू को,
लड़ता हूँ हवाओं से,
के क्यों???
लेकर नहीं आती खुशबू तेरी,


आखिरी महक-ए-इश्क़ है,
अभी भी तू मेरे रूमालों में।     
 
 @https://www.facebook.com/AtulSati.aks/