अभी तक इस ब्लॉग को देखने वालों की संख्या: इनमे से एक आप हैं। धन्यवाद आपका।

यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2017

अभी भी

सुन !!!
सुन ना !!!
बहुत वक़्त हुआ,
बहुत वक़्त से चाहा कि कहूँ,
कि  
बहुत सोचता हूँ मैं,
बहुत लिखता भी हूँ,
पर,
तमाम बातें सोचने पर भी,
      
आख़िरी एक ख़्याल है,  
अभी भी तू मेरे ख्यालों में। 

आज भी,
सच में,
दर-ब-दर भटकता हूँ,
अपने सवालों को लिए,
 पर,
तमाम जवाब सुनकर भी,

         
आखिरी जवाब है,
अभी भी तू मेरे सवालों में। 


बहुत,
बहुत खोजता हूँ तुझे,
तेरी खुशबू को,
लड़ता हूँ हवाओं से,
के क्यों???
लेकर नहीं आती खुशबू तेरी,


आखिरी महक-ए-इश्क़ है,
अभी भी तू मेरे रूमालों में।     
 
 @https://www.facebook.com/AtulSati.aks/

कोई टिप्पणी नहीं: