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बुधवार, 31 मई 2017

हक़ीक़त

(1)
जब वक़्त का बरसना ख़त्म हुआ,
तब उम्र भी खुदको सुखा ही गयी।

(2)
जब पानी, पानी-पानी हुआ,
तब आग भी आग बुझा ही गयी।

(3)
जब शहर में खुदा का क़त्ल हुआ,
तब उसकी भी हक़ीक़त आ ही गयी।
(4)
जब रंजिश को इश्क से इश्क हुआ,
तब वो भी मुहब्बत निभा ही गयी।

मंगलवार, 2 मई 2017

पकिस्तान को एक सन्देश!!!


           (१)
कह दो देश के दुश्मन से,  
डरते नहीं हैं हम रण  से,
बदला हर  शहीद का लेंगे,
तेरी जमीं  के हर तृण  से।

           (२)
तुम हमको उकसाओ नहीं, 
यूँ   हमको धमकाओ नहीं, 
देश है.…  वीर सपूतों  का, 
यूँ हमको   आजमाओ नहीं,
धरती  का    श्रृंगार  करेंगे,
तेरे लहू के कण कण से।     कह दो देश के दुश्मन से ………….   

           (३) 
युद्ध  अब विकराल जो होगा ,
महाकाल हर एक वीर होगा,  
ना  भड़का तू इस ज्वाला को,
तेरा काल अब भारत होगा,
तेरा      तो     संहार करेंगे,
वीरों  के  रण  गर्जन से।    कह दो देश के दुश्मन से ………….  
 
           (४)  
ना  कश्मीर को झड़पेगा,
न कुछ और कभी हड़पेगा,
गर इस बार जो युद्ध हुआ,        
तू लाहौर को      तडपेगा,
ऐसा  तेरा     होम  करेंगे,
भस्म हो जायेगा रण से।  कह दो देश के दुश्मन से ………….   

           (५) 
नक़्शे से ही    मिटा  देंगे,
दुनिया से ही    हटा   देंगे,
नापाक इरादे ही        तेरे,
हैसियत तेरी     मिटा देंगे,
बचाव तेरा नहीं       करेंगे,
शस्त्र तुझे मिले जो ऋण से।     कह दो देश के दुश्मन से ………….   
           
                     -अतुल सती 'अक्स'