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मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

क्या करूँ कि थोड़ा सा इंसान हो जाऊँ?



हिन्दू ही रहूँ या फिर मुसलमान हो जाऊँ ?
क्या करूँ कि थोड़ा सा इंसान हो जाऊँ?

कट जाऊँ सुवर सा या गाय सा हलाल हो जाऊँ?
क्या करूँ कि थोड़ा सा इंसान हो जाऊँ?

बुत परस्ती छोड़ कर क्या मुर्दा परस्त हो जाऊँ?
क्या करूँ कि थोड़ा सा इंसान हो जाऊँ?

आठ सौ साल का शोक करूँ या अभी का शोक मनाऊँ,
क्या करूँ कि थोड़ा सा इंसान हो जाऊँ?

सुवर गाय की चर्बी,कारतूस, मंगल पांडेय को झूठा बनाऊँ?
क्या करूँ कि थोड़ा सा इंसान हो जाऊँ?

दादी टोपी लगाऊँ, या टीका लगा कर भड़काऊं?
क्या करूँ कि थोड़ा सा इंसान हो जाऊँ?
 
तुमसे लड़ते लड़ते तुम जैसा ही हो जाऊँ?
क्या करूँ कि थोड़ा सा इंसान हो जाऊँ?