मुफलिसी की कलाई मरोड़ते हुए,
महँगाई के कोठे को छोड़ते हुए।
एक अदद मकान की खातिर,
पुरखों के घर को तोड़ते हुए।
बच्चों की खातिर माँ बाप को,
कतरा कतरा लहू जोड़ते हुए।
औरों के जीने को अन्न उगा कर,
कर्ज का कफ़न ओढ़ते हुए।
इस ब्लॉग में शामिल हैं मेरे यानी कि अतुल सती अक्स द्वारा रचित कवितायेँ, कहानियाँ, संस्मरण, विचार, चर्चा इत्यादि। जो भी कुछ मैं महसूस करता हूँ विभिन्न घटनाओं द्वारा, जो भी अनुभूती हैं उन्हें उकेरने का प्रयास करता हूँ। उत्तराखंड से होने की वजह से उत्तराखंडी भाषा खास तौर पर गढ़वाली भाषा का भी प्रयोग करता हूँ अपने इस ब्लॉग में। आप भी आन्नद लीजिये अक्स की बातें... का।
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