मेरे घर को जला कर, तुम तो आग को हवा दे रहे हो,
फूंक मारने का ढोंग कर, कहते हो आग बुझा रहे हो।
पानी की शक्ल में, मिटटी का तेल डाल डाल कर,
तुम आग बुझा रहे हो या और लगाए जा रहे हो।
मिटटी में बड़े जतन से तुम बीज बोये जा रहे हो,
धूप से बचा कर, लगातार सिचाईं किये जा रहे हो,
पर जरा गौर से देखना मिट्टी कीचड़ बना बना कर,
असल में तो उसे तुम डुबो कर मारवाये जा रहे हो।
मीठे मीठे की बात कह कर सब कड़वा किये जा रहे हो,
चाशनी को तेज़ आँच में, पकाये नहीं जलाये जा रहे हो।
नन्हे परिन्दों को सदा ऊँचाई का खौफ दिखा दिखा कर,
घौसले में ही कैद कर,अमा! गज़ब प्यार जताये जा रहे हो।
- अक्स
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