कथा ऊँची, कथ्गा मोटी,
गढ़ कुमौं की बाड़ खड़ी।
हिटा दाज्यू, हिटा बैणी,
काटा ये बाड़, लावा दंतुलि।
जिया मेरी, हे ईजा मेरी, या भूमी मेरा पहाड़े की।
जब एक ही माँ च हमारी त,लड़ै बोला कै बाते की?
उत्तराखंड की बात करला,करला बात पहाड़े की।
छोड़िकि बथ ब्याळी की अब बथ लगौला आजे की।
झुमैलो एकी, एकी झौड़,
एक ही थाल, एकी डौंर,
हूड़कु एकी, मुरुली एकी,
बद्रीकेदार नंदा भी एकी।
बौण एकी , एकी हिमाल,
एकी गंगा, जमुना एकी,
घुघुति एकी, एकी मोनाल
सुख भी एकी, दुःख भी एकी।
ढोल दमौ बाजा एकी,
बालमिठै सिंगोरी एकी,
नथ गुलबंद बुलाक एकी
उत्तरैणी मकरैनि एकी।
होली हुल्यार बग्वाल एकी,
बाँझ बुराँस काफल एकी।
पानी पलायन पहाड़ एकी,
रोजगारे की दौड़ भी एकी।
पहाड़े राजधानी पहाड़ी नेति,
पीड़ा एकी जौड़ भी एकी
पीड़ा एकी जौड़ भी एकी
पीड़ा एकी जौड़ भी एकी
पीड़ा एकी जौड़ भी एकी ...
- अतुल सती 'अक्स'
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