अभी तक इस ब्लॉग को देखने वालों की संख्या: इनमे से एक आप हैं। धन्यवाद आपका।

यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 1 फ़रवरी 2017

अंग्रेजी सागर है और हिंदी एक बड़ी नदी

माना अंग्रेजी सागर है और हिंदी एक बड़ी नदी है। और गढ़वाली, कुमाउँनी, जौनसारी और अन्य जितनी भी दम तोड़ती भाषाएँ हैं, बोली हैं, आँचलिक भाषाएँ हैं, वो हैं सहायक नदियाँ।
अधिकतर लोग सागर की ओर ही जाना चाहता है,कुछ लोग हैं जो नदी को पसंद करते हैं,पर  ध्यान रहे कि बिना सहायक नदियों, गाड़, गदनो का, नदी गंगा जी भी गंगा नई रैली। और अगर नदी ही में पानी न के बराबर होगा तो सागर भी सागर नहीं रहेगा। 
किसी  ने कहा था मुझे की जब मुझे गढ़वाली आती नहीं तो उसमे क्यों लिखता हूँ? आँग्ल भाषा मा किले नि लिख्दु? कम से कम हिंदी में ही लिखा करूँ। इसीलिए लिखता हूँ बल...... बींग गए ?गाड़ गदना नि होला त गंगा जी नि होली अर न ही सागर ही बचलू।                     - अक्स               
          

कोई टिप्पणी नहीं: