प्रद्युम्न केस में जिस १६ साल के लड़के को आरोपी बनाया जा रहा है और जो कारण निकल के सामने आ रहे हैं वो चिंताजनक हैं। सिर्फ स्कूल के एग्जाम और पैरेंट टीचर मीटिंग कैंसिल करवाने के लिए किसी की हत्या करने जैसा ख्याल से ज्यादा चिंताजनक उसके पीछे के कारण हैं।
हो सकता है कि ये सिर्फ एक मिथ्या कथा हो, या फिर उस बालक की कोई व्यक्तिगत समस्या ही हो लेकिन ये बात एक चिंताजनक समस्या की ओर इशारा तो करती ही है।
और वो है,
दबाव!!!
कितना ज्यादा दबाव है आजकल के स्कूल में,समाज में। स्टेटस, एजुकेशन, मार्क्स, रेपुटेशन, आगे निकलने की होड़, पीछे रह जाने का डर, बचपन का ख़तम हो जाना ये ही सब तो जिम्मेदार हैं इस दबाव के पीछे।
खुद निकम्मे रहे मातापिता को बच्चा चाहिए आइंस्टीन और साथ में अमिताभ और सचिन का मिश्रण। जब गाये तो सोनू शान किशोर रफ़ी लता आशा, जब नाचे तो ऋतिक, खाना पकाये तो संजीव कपूर सब कुछ एक ही में हो।
आल इन वन।
आजकल छोटे छोटे बच्चे डिप्रेशन में हैं, आप देखते ही होंगे वो कहते हैं कि वो बोर हो रहे हैं,
अखबार उठा कर पढ़िए कितने ही केस हैं जहाँ रेप कर रहे हैं नाबालिग, नशा करना उनकी जीवन शैली है,
लेकिन हमें क्या? बच्चा खराब तो स्कूल जिम्मेदार, समाज जिम्मेदार हम थोड़े न?
क्यों?
हमारी दीमक लगी शिक्षा व्यवस्था और सामाजिक ढाँचा जहाँ सिर्फ अकैडमिक्स में ध्यान दिया जाता है और उसमे भी केवल फर्स्ट आना है, बाकी के लिए कोई जगह नहीं,
वहां, जहाँ मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा का कोई स्थान नहीं वहाँ ये ही तो होगा।
हमारे शुक्राणु जो अपने ही जैसे करोड़ों,अरबों शुक्राणुओं से आगे रेस जीते उन्हें और जीते हुए अन्य शुक्रणओं से भी आगे दौड़ना ही होगा। जो हम कभी न कर पाए उसे वो करना ही होगा, उसे दबना ही होगा इस प्रेशर में। नहीं तो वो चार लोग क्या कहेँगे?
हमें एक ऐसा पेड़ चाहिए जिसमें हर तरह के फल लगें और हमें उसका ख़याल भी न रखना पड़े। आप देखिये अपने आसपास के बच्चों को, अपने बच्चों को, कितने चिड़चिड़े हैं?
उनको भी समझ में आता है कि केवल और केवल फर्स्ट आना है, अगर कुछ ऊँच नीच हुई तो उसके माँ बाप को शर्मिंदा होना पड़ेगा। लोग उसे एज अ प्रोडक्ट फेल कर देंगे, रिजेक्ट कर देंगे, और तब न जाने वो या तो खुद को या फिर किसी और की हत्या करे एक और पैरेंट टीचर मीटिंग कैंसिल करवाने को, स्कूल बंद करवाने को।
और अगर ऐसा हुआ तब अभी एक प्रद्युम्न की बलि हुई है आगे न जाने कितने और होंगे।
ब्लॉग: https://atulsati.blogspot.in/2017/11/blog-post_13.html
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