बरसोगी मुझपर टूट कर हाय! जब ये कहती हो तुम,
समझा मतलब,जब गुस्से में बादल सी फटती हो तुम।
सुन्दर लगती हूँ न, पूछती हो जब भी सजधजके तुम,
मुस्कुराता हूँ बस हौले से मैं, कैसे कहूँ के झूठी हो तुम।
सारी ही सेविंग डूबी मेरी, बस एक तरक्की पर हो तुम,
मैं गिरा पड़ा रूपये सा, बिटकॉइन सी उड़ती हो तुम।
सो ही नहीं पाता मैं, रातों को बैठा रहता हूँ गुमसुम,
बचती नहीं जगह सोने की, पास जब सोती हो तुम।
आ ही नहीं पाती हो अक्सर, बाहों के घेरे में मेरे तुम,
बाहें ही हो गयी होंगी छोटी, कैसे कहूँ के मोटी हो तुम।
ये पति नहीं हूँ मैं 'अक्स' और हाँ! ये बीवी नहीं हो तुम,
शायर कोई और है इसका किसी और का है ये तरन्नुम।
-अक्स
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