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सोमवार, 1 जून 2015

लघु कथा 9 : चॉकलेट सीक्रेट - अतुल सती 'अक्स'

     आपके, हमारे, हम सभी के, बचपन से कुछ न कुछ सीक्रेट होते ही हैं वैसे ही प्रिया जो कि एक आठ साल की प्यारी सी लड़की है उसके भी दो सीक्रेट हैं और दोनों ही सीक्रेट चॉकलेट हैं।  क्या आप जानना चाहते हो उसका सीक्रेट?  
१) चॉकलेट (उम्र सात साल) 
२) चॉकलेट (उम्र आठ साल)
पहली चॉकलेट बड़ी ही स्वादिस्ट है और प्रिया की फेवरेट। ये चॉकलेट उसे उसके दादा जी ला कर देते थे जो कि उसे बहुत पसंद थी।  प्रिया चॉकलेट के बिना रह ही नहीं सकती थी। वो जब भी गाँव से आते तो उसके लिए उसकी फेवरेट चॉकलेट लाते थे, उसके माँ पापा के सामने एक चॉकलेट देते और बाकी चॉकलेट छुपा देते थे एक सीक्रेट बॉक्स में।  जिसे वो दोनों रात को जब दादा उसे कहानियां सुनाते थे, सुलाते थे, तब चुपके चुपके खाते थे। दादा जी को शुगर था लेकिन वो अपनी पोती के साथ चॉकलेट शेयर करते थे। और ये उन दोनों का टॉप सीक्रेट था। हर दिन वो बॉक्स खाली हो जाता था और फिर हर दिन उसमे कुछ चॉकलेट दादा जी डालते थे और फिर वो दोनों खाली कर देते थे खा खा कर। दादा जी वापस गाँव चले जाते जब तो प्रिया अगले साल के इंतज़ार में दादा जी और चॉकलेट  के, अपने सीक्रेट के इंतज़ार में ही रहती थी।   

लेकिन दूसरी चॉकलेट का स्वाद बड़ा ही कसैला सा है, प्रिया को नफरत है बुरी तरह।  वो अब चॉकलेट नहीं खाती, हरगिज नहीं जबकि उसका सीक्रेट बॉक्स चॉकलेट से भरा पड़ा है। उसके मामा जो कि उसे बहुत प्यार करते हैं और रोज उसे एक सीक्रेट चॉकलेट देते हैं। मामा जी आजकल उन्ही के साथ रह रहे हैं और प्रिया को पढ़ाई में मदद करते हैं। वो बहुत ही ज्यादा कठोर शिक्षक हैं। वो जब भी उसे पढ़ाते हैं तो किसी का भी अंदर आना मना है। वो जब भी उसे पढ़ा कर रूम से बाहर निकलते तो प्रिया कराहती ही रहती। वो अपने मामा के सामने बस कांपती ही रहती।  कुछ भी नहीं कह पाती।  बस अपने कपड़े समेटती और अटैच्ड बाथरूम में नहाने चली जाती। उसने एक बार मामा जी के हाथ से अपनी पसंदीदा चॉकलेट खाई थी और तब से मामा जी और उसका एक गन्दा घिनौना सीक्रेट बना, जो हमेशा के लिए एक डार्क सीक्रेट रहा। मामा जी रोज उसे एक चॉकलेट देते और वो रोज उसे उस डिब्बे में फेंक देती और अपने टॉप को अपने हाथों से मरोड़ते हुए कसमसाते हुए बस रोती रहती।

ये भी एक सीक्रेट है उसका जो वो किसी को बता नहीं पाती है, खुद को भी नहीं।                        
                                                                                -अतुल सती 'अक्स'  

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