अभी तक इस ब्लॉग को देखने वालों की संख्या: इनमे से एक आप हैं। धन्यवाद आपका।

यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 24 जून 2016

११ रूद्र - जानकारी



आज रूद्र के बारे में जान्ने का प्रयास करते हैं। रूद्र वो नहीं हैं जिन्हे हम कैलाश में बैठे हुए  मानते हैं। ११ रूद्र होते हैं, सभी त्रिशूल धारी, सभी बाघंबर सभी क्रोध और तूफ़ान के, विनाश के देवता। सभी अघोरी। सभी देवताओं की तरह ये भी कश्यप ऋषि की संतान हैं।  जैसे विष्णु, इंद्र इत्यादि १२ आदित्य हैं वैसे ही ये ११ रूद्र हैं।  

नोट: ये ११ रूद्र सिर्फ इसी मन्वन्तर में जो कि सप्तम मन्वन्तर (१ मनु का जीवनचक्र) है। हर मन्वन्तर में एक नया मनु, एक नया इंद्र, नए सप्तऋषि होते हैं। 
कुछ जगह इन्हे मारुत भी कहा गया है जो कि इंद्र के सेवक हैं और कुछ जगह मरूत शिव के सेवक हैं। एक मत नहीं है तो इसे रहने देते हैं।     
           
  • वैदिक- सनातन धर्म अनुसार ३३ प्रकार के देव हैं,  कश्यप ऋषि और अदिति की संतान हैं। जिनमे १२ आदित्य, ८ वसु, २ आश्विन, और  ११ रूद्र हैं। इन्ही का जिक्र रामायण तथा वामन पुराण में हुआ है।मत्स्य पुराण के हिसाब से ब्रह्मा तथा सुरभि ११ रूद्र के पिता माता हैं। 
१) कपाली 
२) पिंगला 
३) भीम 
४)विरुपक्स 
५) विलोहिता 
६) अजेश 
७)शासन 
८) शस्त 
९) शम्भू 
१०) चण्ड
११) ध्रुव 
इन ११ रुद्रों ने देवासुर संग्राम में विष्णु का साथ दिया। 
 
  • वैदिक कहानिओं के हिसाब से रूद्र (शिव) एक राजकुमार थे और ११ रूद्र उनके मित्र,सहकर्मी,साथी,सहायक थे(शतपथ ब्राह्मण श्रुति) 
  • ऋग्वेद के अनुसार ये ११ रूद्र धरा और अम्बर के बीच के हिस्से के देवता हैं।   
 

  • एक अन्य कथा के अनुसार,विष्णु पुराण के मतानुसार शिव का जन्म भगवन ब्रह्मा के गुस्से से हुआ। शिव अर्धनारीश्वर रूप में हुआ, आधा शरीर पुरुष का और आधा शरीर स्त्री का। शिव ने खुद को दो हिस्सों में बाँटा अलग अलग पुरुष(शिव/पुरुष) और स्त्री(शक्ति/प्रकृति) रूप में।
पुरुष भाग के आगे ११ और हिस्से हुए। जो आगे चल कर रूद्र कहलाए। जिनमे कुछ बहुत गोरे और कुछ बहुत ही काले थे।
१) मन्यु
२)मनु
३)महमसा
४)महान
५) सिव
६) ऋतुध्वज
७) उग्ररेतस
८) भाव
९) काम
१०)वामदेव
११) धृतव्रत

स्त्री ने अपने शरीर से ११ रुद्राणी प्रकट की। जो कि रुद्रों की पत्नी हुईं।
१) धी
२) वृत्ति
३)उसना
४) ऊर्ण
५) न्युता
६) सर्पीस
७) इला
८) अम्बिका
९) इरावती
१०) सुधा
११) दीक्षा
 

  • अन्य पुराणों में ११ रूद्र कुछ इस तरह से हैं,
१)अजा २) एकपत ३) अहिरबुध्न्य ४) तवस्ता ५) रूद्र ६) हर ७) शम्भू ८) त्रयंबक ९) अपराजित १०) ईशान ११) त्रिभुवन 

गुरु द्रोण पुत्र अश्वथामा रुद्रावतार है। अजेय अमर और अगले मन्वन्तर (अष्टम) में एक सप्तऋषि।
ये  ४ तरह के देवताओं का संयुक्त रूप जो कि रूद्र ही थे।
१) यम (मृत्यु)
२) काम (प्रेम)
३) क्रोध(गुस्सा)
और
४) रूद्र(विनाश)
स्वयं भीष्म और कृष्ण जानते थे कि अगर महारथी अश्वथामा को क्रोध दिलाया गया या वो युध्ध में पूरी शक्ति से आया तो वो स्वयं शिव हो जायेगा और फिर उसे कोई नहीं हरा पाएगा।  अश्व्थामा के आदेश पर ही ११ रुद्रों ने पांडवों की सेना में हहकार मचाया था।

   

कोई टिप्पणी नहीं: