मैं अपना समझ,
कुछ कह रहा था,
वो मेरा तजुर्बा था।
तुम जो समझ कर,
खफा हुए 'अक्स',
वो मेरी बात का,
गलत तर्जुमा था।
कुछ तो तर्जुमा ही,
गलत हो गया,
और कुछ तजुर्बा ही,
गलत हो गया।
ज़िन्दगी तेरा तजुर्बा,
और तेरा तर्जुमा,
उफ़्फ़!!!
सही हुआ या गलत,
पर जो भी हुआ,
हो ही गया।