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सोमवार, 6 जुलाई 2015

बचपन

अभी थोड़ी देर ही सही,
बचपन को,
बचपने में ही रहने दो। 
चाँद तारों को तोड़ कर,
अपनी जेबों में इन्हे रखने दो। 

भरने दो अभी कुछ और देर तक,
मनमर्जी के रंग इस आसमान में,
इनकी दुनिया को अभी,
कुछ और देर तो सजने दो।
फिर,
फिर तो ये भी हम जैसे हो जायेंगे, 
ये नादानी कहीं छूट जाएगी पीछे, 
ये भी जल्दी सयाने हो जायेंगे। 
कुछ कागज पढ़ लिख कर,
कुछ कागज कमाने को,
ये भी हम जैसे दीवाने हो जायेंगे। 
अभी थोड़ी देर ही सही,
बचपन को बचपने में ही रहने दो। 
चाँद सितारों को तोड़ कर,
इन्हे अपनी जेबों में रखने दो।

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