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शुक्रवार, 31 जुलाई 2015

बचपन


सूरज, चाँद, बादल और तारे,
कुछ शफ़क, कुछ अँधेरा,
कुछ मिट्टी और कुछ फूल,
सब कुछ एक ही जेब में  रख कर,
नादानी और प्यार मिलायें तो। 
फिर इस बेमतलब जीवन में हम ,
बचपन वाला वो धनुक लाएं तो,   
बचपन की कोई सीमा नहीं है,
उसको अनंत बनाएं तो,  
इस जीवन में क्या नहीं है,
जवानी बुढ़ापा भुला कर,      
खोजने जरा आप जाएँ तो। 
            -अतुल सती 'अक्स'  

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