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बुधवार, 18 जनवरी 2017

भैजी भुल्ला की बथ: चंद्रगुप्त- घनानंद-धनानंद-नारायणानंद-बाहुबली- उत्तराखंड- भंगला-आनंद



"बल भैजी ये क्या हो रहा है हमारे उत्तराखंड में बल? मैंने सुना बल कुछ लोग, कुछ मेहनत-कश लोग जो कि अपने अपने घर के लिए, अपने आसपास के लोगों के घर के लिए नीवं खोद रहे थे, एक मजबूत घर, कॉलोनी बनाने के लिए, जिन्होंने नक्शा भी बना दिया था बल। उन्ही को ठेका नहीं मिला। अखबार में आया है बल की जन रगड़ भगड़ (लैंडस्लाइड) होंदी च और वेमा सारे मकान, नीवं अर मनखी दब जाते हैं बल ठीक वन्नी वो लोग पैराशूट के नीचे दब गए बल।" भुल्ला अखबार को पढ़ते हुए भैजी से बात कर रहा था, और भैजी थे चिलम सजा रहे थे।    
भैजी ने एक लंबा कश खींचा और कहा: "हाँ भुल्ला ! सही बोली तिन। मगध का राजा घनानंद और उसके दरबारियों को हराने को चाणक्य ने बल चंद्रगुप्त तैयार तो किया और सेना भी, पर घनानंद तो घनानंद ठैरा। वेन अपरा दरबारियों ते एक जादुई बैग दिया बल जिसका नाम है पैराशूट। और उसकी सारे दरबारी अपर बाल बच्चों सहित पैराशूट से लटक कर चंद्रगुप्त की सेना पर गिर गए। जैसे बल बाहुबली में बाहुबली ने किया था। याद है तेरे को? " 
"भैजी चिलम कुछ ज्यादा ही खींच दी तुमने बल! घनानन्द तो अपने घन्ना भाई ठैरे! वो तो धनानंद था चंद्रगुप्त वाला।" भुल्ला की समझ में कुछ नहीं आ रहा था की भैजी क्या बथ लगा रहे थे।  भैजी हँसे और फिर एक गहरा कश लेकर बोले: अरे लाटा तेरे बींगीने में नहीं आरहा। अब घनानंद मेरा मतलब धनानंद के दरबारियों के नीचे चंद्रगुप्त की सेना दफ़न।  और उनके ऊपर कौन? धनानंद के दरबारी।  अब चंद्रगुप्त की सेना जिनके खिलाफ लड़ रही थी वो तो अब बल उसकी ही सेना में ठैरे। अब लड़ेंगे किससे? और युद्ध में चाणक्य तो आता नहीं तो उसे  नहीं पता कि क्या हुआ क्या नहीं? यहाँ तक कि मैंने सुना है बल घनानंद का बोड़ा नारयणानंद अपने बेटे के साथ चंद्रगुप्त की सेना में शामिल हो गया। 
"भैजी तुमने न भंगले- गाँजे की खेती करके अपना मशरूम कर दिया बल। अब तुम बोलोगे की घनानंद भी खुद अपने किले का दरवाजा खोल कर चंद्रगुप्त की सेना में मिल जायेगा??? और चंद्रगुप्त को हटा कर फिर घनानंद ही फिर से राजा बन जायेगा? और चाणक्य ही उसे राजा बनाएगा??? "
"भुल्ला एह!!! अब बींगी न तू! मि बोल्नु छौं त्वेते तू भी भंगला उगा, बरमंड में जल्दी घुसेगी बात।"
भुल्ला को अभी भी समझ में नहीं आया था कि उत्तराखंड में सबने इतनी भांग क्यों उगाई? और घनानंद और चंद्रगुप्त चाणक्य का उत्तराखंड के ठेकेदारों से क्या लेना देना? भुल्ला पर भी भाँग का नशा हावी था। और उत्तराखंड में चुनाव का।  और आप पर????                            - अतुल सती 'अक्स'            
                        

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