एक मनखी सी दिखेन वालु आदमी मिला मुझे बल, एक बुराँस के पेड़ के नीचे बैठे काफल खा रहा था। उसके कपडे देख कर लग रहा था कि जैसे किसी नाटक मंडली से भागा हुआ है।
मैं तो वहां उस जंगल का ठेकेदार ठैरा। सो रॉब डाल कर बोला कि चल छोड़ इन काफल को और भाग जा यहाँ से।
मैंने पूछा "कौन है रे तू? और यहाँ क्या कर रहा है बाँझ बुराँस के नीचे? तेरे को ये हिम्मत कहाँ से हुई कि तू यहाँ बैठ सके और काफल खा सके।"
मैंने पूछा "कौन है रे तू? और यहाँ क्या कर रहा है बाँझ बुराँस के नीचे? तेरे को ये हिम्मत कहाँ से हुई कि तू यहाँ बैठ सके और काफल खा सके।"
पेली ता वू खित्त करि की हँसी अर तब वैन मेरी तरफ देखि की बोली " मैं तानसेन हूँ। अकबर के नवरत्न में से एक। और ये काफल मुझे वन देवी ने दिए हैं। मैंने उन्हें राग मल्हार सुनाया तो उन्होंने ख़ुशी ख़ुशी मुझे यहाँ आराम करने को बोला और काफल दिए खाने को।"
"तानसेन!!! कौन तानसेन??? अच्छा तुम बल वो ही हो न जो बिना लूप लगाए गाता था और वो भी बिना ऑटो ट्यून किये, ऐसा सुना है मैंने। तुम गाते ही क्या थे? अ आ इ ई जैसा ही तो गाते थे? उसमे बोल कहाँ थे बल? "
मैंने भी अपना सारा ज्ञान उड़ेल दिया। कहीं बल मेरे को कच्चा खिलाड़ी न समझे।
"अरे मैंने एक से एक राग गाये हैं, राग मालकोश, मल्हार, भैरवी और न जाने क्या क्या, यहाँ की वन देवी ने भी सुने और सराहे हैं, तभी तो मुझे ये काफल मिले। " तानसेन थोड़ा सा सकपका कर बोले।
"अच्छा !!! अगर इतने ही बड़े कलाकार हो तो अपना यूट्यूब लिंक दो मुझे। कितने व्यूज हैं? कितने सब्सक्राइब? कोई विडियो ? कोई रिवर्ब-नेशन, साउंड-क्लाउड लिंक? " नहले पर दहला मारा मैंने, मैं भी कहाँ कम था बल? आज का युवा ठैरा सब जानता हूँ, सब कुछ।
"क्या? यू---- यू----- यूट्यूब? व्यूज? स---- स---- सब्सक्राइब? ऐसा तो कुछ नहीं है मेरे भाई। कोई विडियो भी नहीं है। " तानसेन ने निराश हो कर कहा।
" क्या???????????
यूट्यूब लिंक नहीं है???? फिर तो तुम बल कहीं से भी कोई सिंगर मतलब गायक नहीं ठैरे। काफल पर तुम्हारा कोई हक़ नहीं। वापस करो और निकल जाओ। बड़े आये बिना यूट्यूब के सिंगर। न जाने कहाँ कहाँ से आ जाते हैं।" मैंने डपटते हुए तानसेन से काफल छीने और वहां से भगा दिया।
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