उत्तराखंड बना था कभी कारण था पलायन,
और आज खत्म हो रहा कारण है पलायन,
कभी पश्चिम-दक्षिण दिशा से किया पलायन,
अब वापस उसी दिशा को हो रहा पलायन,
कभी जीवन को बचाने को हुआ पलायन,
कभी जीवन को सजाने को होता पलायन,
धार से सैण में, सैण से पलैन में,
सरोलो से गंगाड़ी में,
सैरा पुंगड़ो से, बस्ती में,
बस्ती से बाजार में,
बाहर वालों का पहाड़ों में,
पहाड़ी का बाहर देश में,
देश वालों का विदेश में,
सदा से होता ही रहा है,
किसके रोकने से रुका है कभी,
कहते हैं जिसे हम पलायन !!!
- अक्स
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