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सोमवार, 12 दिसंबर 2016

इश्क

इश्क में,
सजा भी है, 
और, 
इसका इक
मजा भी है।

सुरूर है,
गुरूर है
इश्क़ में,
तेरे,
'अक्स',
जरूर है,
जरूर है।

निगाह में,
तेरी हैं,
सनम,
बला बला की,
शोखियां।

देखती हैं,
जब मुझे,
गिराती हैं,
ये,
बिजलियाँ।

के बस,
तुझे ही
देख के,
मेरी,
सुबह औ,
शाम हो।

तेरी ही,
मस्त,
निगाह से,
मेरे,
इश्क का,
हर जाम हो।

अतुल सती 'अक्स'

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