अभी तक इस ब्लॉग को देखने वालों की संख्या: इनमे से एक आप हैं। धन्यवाद आपका।

यह ब्लॉग खोजें

मंगलवार, 27 दिसंबर 2016

सपने देखो और पूरा करो

पता मैं क्या सोचता हूँ, अगर मैं कोई काम नहीं कर पाया न इस दुनिया में अपने हिसाब से, मैं कभी नहीं चाहूँगा की मेरा बेटा उसे मेरे लिए पूरा करे, वो भी मेरे हिसाब से।
ना ही मैं कोई जी तोड़ मेहनत करूँगा उसे उसकी मर्जी के खिलाफ(या उसके दिमाग में अपनी सोच डाल कर) उसे वो बनाने के लिए जो मैं चाहता हूँ। उसकी अपनी ज़िन्दगी है मेरी अपनी।      
मेरा बेटा "आरुष" जो करना चाहेगा अपने हिसाब से, जो भी वो बनना चाहेगा मैं उसमें ही खुश हूँ।
आजकल आप कोई भी रियलिटी शो देखें, (मैं अपने माबाप का सपना पूरा करना चाहता हूँ, मेरे पाप ये चाहते थे... वो ये नहीं बन पाए.... मैं चाहता हूँ मेरा बीटा/बेटी वो बने... ये बने.... मोहल्ले में नाम होगा।) मतलब क्यों? क्यों कोई किसी और का सपना पूरा करे क्यों? तभी तो अधिकतर लोग आज कल अपने छेत्र में अच्छे नहीं हैं। मन मार कर सब काम कर रहे हैं।     
जब मेरे सपने हैं तो उनपर अधिकार भी मेरा है और उसे पूरा करने का फ़र्ज़ भी मेरा ही है।  मेरी संतान का सपना उसका खुद होगा उसे इस काबिल बनाओ कि वो अपने सपने पूरे कर सके उससे पहले वो खुद सपने देख सके, उसे पाल सके जी सके। 
पहले ही बच्चों पर स्कूल का बोझ होता है, उस पर संस्कार, संस्कृति, मोहल्ले वाले, उसके बच्चे इसके बच्चे, नाते दार रिश्तेदार और फिर ऊपर से माबाप के अधूरे ख्वाब।                      
(इसे दंगल से जोड़ कर न देखें, क्योंकि हमारे जीवन में अधिकतर लोग अपने माँबाप का ही सपना पूरा करने में मर खप जाते हैं,और फिर हम जो चाहते हैं वो नहीं कर पाते.... और तब हम अपनी संतानों से अपने सपने पूरा करवाते हैं और फिर वो अपनी... )
इस चक्र इस कुचक्र को तोडना होगा, किसी को तो, कभी तो इसे तोडना होगा। मैं तोड़ रहा हूँ, क्या आप भी तोड़ेंगे? अपने बच्चों के लिए मैंने सुना है आप लोग कुछ भी कर जायेंगे सच्ची !!!! तो उन्हें उनके सपने पूरे करने दो। अपने सपने खुद पूरे करो क्योंकि वो आपके हैं।  सपने देखो और पूरा करो।     
मैं किस्मत वाला हूँ जो मुझे मेरे माँ बाप ने अपना कोई सपना नहीं दिया, और मुझे ख्वाब देखना सिखाया, उसे पूरा करना सिखाया और मेरे सपने को पूरा करने को मदद की। मेरे जैसे बहुत से बच्चे नहीं जिनके माँबाप समझदार हैं।  लेकिन क्या हम समझदार हैं? सोचिये।  आप क्या क्या नहीं थोप रहे हैं अपने बच्चों पर। 
उनको ख्वाब देखने दो पूरा हो न हो पर हौसला दो उसको पूरा करने की कोशिश करने के लिए उससे भी पहले उन्हें ख्वाब देखना सिखाओ!!! उनका ख्वाब उनका अपना।           
                 - अतुल सती 'अक्स'
http://atulsati.blogspot.com/2016/12/blog-post_76.html                  

कोई टिप्पणी नहीं: