अभी तक इस ब्लॉग को देखने वालों की संख्या: इनमे से एक आप हैं। धन्यवाद आपका।

यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 19 दिसंबर 2016

भैजी भुल्ला की बथ:(हनीफ़ रावत अर उत्तराखंड)

भैजी भुल्ला की बथ:(हनीफ़ रावत अर उत्तराखंड)  
------------------------------------------------------------

भैजी!!! तुमुन भी सुणी बल हनीफ़ रावत भैजीन हर जुम्मा मा डेड़ घंटो अवकाश घोषित कर दिया है। कहीं अपना उत्तराखंड उत्तराखंडिस्तान तो नहीं बन रहा बल? कभी छठ की छुट्टी त अब जुम्मे की। 
हम पर भी तो वो देबता ढुकाया था उसको नचाने की छुट्टी देंगे बल जेई साहब??? अच्छा हर मंगल अर शनिबार ते हमें पूछ भी करानी होती है पुछेर से, छुट्टी देंगे बल क्या बड़े साहब? देबता तूशता ही नहीं है। 

भैजी: अरे भुल्ला तू भी न लाटा है, हम भोटर थोड़े न हैं जो हमें छुट्टी मिलेगी बल। अच्छा एक जजमान को भोट कौन बामण देगा? ऊपर से वो कुमैं है गढ़वाली किले देंगे भोट? हम सरोले भी हैं रे हम गंगाड़ी को भी भोट नहीं देते और त और अपर ही गौं के मल्ले खोले वालों को भी हम भोट नहीं देते। अर हाँ बोड़ीन वू नरसिंग ढुकाया था न हम पर जिस पर माँ ने अपना भैरव पुकारा था तो भोट त हम अपरा ही भैजी को भी नहीं दे पाएंगे। 

भुल्ला: पर भैजी देबता को तो तुषाना ही है, हमने जो लगोठीया लाया है उसका क्या? छुट्टी नि मिलेगी त कण के नचै होगी? दोष लगेगा देबता का?

भैजी: अरे देबता को टक्कर देने के लिए सैद (पीर बाबा) भी त आजकल नचा रहे हैं, वो भी तो दोष लग रै हैं।
सब्बिया सब्बि दोष छन हुयां ये पहाड़ पर। जनि कण हँकार लगयूं च कण उत्तणदंड हयूं च?

भुल्ला: त भैजी ये दफा चुनाव मा बल बिगास की बथ नहीं होगी बल? स्थायी राजधानी, विकास, केदार आपदा का गबन, भू-शराब-शिक्षा-खनन  माफिया राज, पलायन, बेरोजगारी की बात नहीं होगी बल? 

भँगलू ज्यादा ही खै ली ये मास्तन!!!

गढ़वाली कुमाउँनी जौनसारी भाषा संस्थान तो बनाया नहीं उर्दू अकादमी बना दी बल नकली राजधानी देहरादून में। 
इस्कूल त बनाया नहीं, डोबरचान्ठी पल बने नहीं टेहरी में मदरसा बना दिया बल।   
देबभुमी भी बल अस्साम अर बंगाल जन हुएजालु? मिन सुणी बल उत्तराखंड तीसरा नंबर पर है मुस्लिम जनसँख्या को सबसे तेजी से बढाने में।   

भैजी: सही सुनी भुल्ला तिन। तीसरू च उत्तराखंड भारत मा मुसलमानों की बढ़ती आबादी ते। पर हम यखुली यखुली क्या कर सकते हैं? जो कर सकते हैं वो तो बल NRU बने हुए ठैरे बल !!! इन्टरनेट पर ही ता बल हो हल्ला करेंगे। आंदोलन भी बल फेसबुक पर चलाएंगे। मजबूर जो ठैरे बल। 
साला हम उत्तराखंडी(पहाड़ी) मजबूर बड़े हैं यार जो NRU हैं वो बल मजबूर हैं फ्लैट के कुमचरे के लोन के लिए नाच रहे हैं और हम यहाँ हंकार-जनकार के लिए नाच रहे हैं। कोई बल दारु पी कर नाच रहा है त कोई बल पहाड़ छोड़ कर प्लैन (पलाइन) के लिए नाच रहा है।  यु कण देबता ढुकाया है इन नेताओं ने बल सब्बिया सब्बि झम्म जकड़ियाँ छन अर सब्बियाँ सब्बि नाचना छन। 

और उसके बाद दोनों भैजी और भुल्ला ने पव्वा गटकाया और सो गए, कुछ देर पैले वो जिस पुछेर से मिलने गए थे वो भी बल देहरादून शिफ्ट हो गया। 

        
 

कोई टिप्पणी नहीं: