मुझे भगवान् का पुराण स्वीकार है,
मुझे अल्लाह का कुरान स्वीकार है।
ढोंगी पोंगा पंडित का पुराण पुराण नहीं,
अढ़ियल दढ़ियल मुल्ले का कुरान कुरान नहीं।
जो कल हुआ, वो कल था, वो कहीं से भी आज नहीं,
ईश्वर मेरा तुम्हारे किसी भी कर्मकांड का मोहताज़ नहीं,
अल्लाह मेरा झूठी अज़ानों के हल्ले का मोहताज़ नहीं।
तुम मन से उसकी पूजा करो, इबादत करो,
हर दफ़ा उठ कर गर सो जाओ
हर दफ़ा गर सो कर उठ जाओ,
तो उसका धन्यवाद करो,
उसके तुम शुक्रगुज़ार रहो,
याद रखो इस अक्स की बातें,
तुम उसके मोहताज़ हो, वो तुम्हारा मोहताज़ नहीं।
जो कल हुआ, वो कल था, वो कहीं से भी आज नहीं,
ईश्वर मेरा तुम्हारे किसी भी कर्मकांड का मोहताज़ नहीं,
अल्लाह मेरा झूठी अज़ानों के हल्ले का मोहताज़ नहीं।
- अतुल सती 'अक्स'- Atul Sati 'aks'
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