अरे !!! हम शरमाते हैं,
पर,
जनसँख्या खूब बढ़ाते हैं।
अरे !!! हम लिहाज करते हैं,
और,
खुद को लाइलाज करते हैं।
अरे !!! महंगाई ने कमर तोड़ दी,
और,
छठे बच्चे के वक़्त, उसने दुनिया छोड़ दी।
अरे !!! ये शिक्षा हमारी संस्कृति नहीं,
तो,
खुजराहो, कामसूत्र क्या हमारी कृति नहीं?
अरे !!! तो क्या करूँ?
पर,
जनसँख्या खूब बढ़ाते हैं।
अरे !!! हम लिहाज करते हैं,
और,
खुद को लाइलाज करते हैं।
अरे !!! महंगाई ने कमर तोड़ दी,
और,
छठे बच्चे के वक़्त, उसने दुनिया छोड़ दी।
अरे !!! ये शिक्षा हमारी संस्कृति नहीं,
तो,
खुजराहो, कामसूत्र क्या हमारी कृति नहीं?
अरे !!! तो क्या करूँ?
कैसे करूँ?
कुछ तो सुझाईये !!!
......तो आप,
मत शर्माइये,
मत शर्माइये,
कहते जाइये,
सुनते जाइये।
एड्स, यौन रोग,
एड्स, यौन रोग,
असुरक्षा से सबको बचाइये।
बड़े, छोटे,
बड़े, छोटे,
सब को बात खुल कर बताइये।
कंडोम लगाइये,
कंडोम लगाइये,
परिवार को बचाइये।
- अतुल सती 'अक्स'
- अतुल सती 'अक्स'
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