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बुधवार, 11 फ़रवरी 2015

मेरा गौं की किस्मत

मेरा गौं की किस्मत - अक्स
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ये दाँ मेरा गौं की हवा पाणी वन नी छे,
जन मिन अपरा बचपन मा देखी छे।
बाँझा पड्यां पुंगडा, टुट्यां फुट्यां घोर,
हमुन ही मार देयी ये गौं ते,सब जाणी की,
वन ता मेरा गौं की किस्मत यन नि छे।
           
सुणी छौ मिन, बल, रामू बोड़ा मोरी जब ,
तब सब कठ्ठा नि हुए सकिन उंते उठौण ते,
अर एक वखत मिन यु भी देखी छौ गौं मा,
जब घिर्र करी की सब्बि कठ्ठा  हुएंदा छां,
कब्बि रौपणि ते, ब्यो ते, त कभी पुजै ते। 

भड्डू मा पकी दाल अर सौदा  दुधे चायो उबाल,
गाली देणी च बोड़ी,फेर  खै ली गौडिन उजाड़,
बीड़ी का धुएरुं मा मंगतू बोड़ा की वू बथ चित,
वू पन्देरा मा पल्ले छाले की छेला बौ छुयांल,
माछों  ते जाण, कबि ये गदना त कबि वे गाड़।

पर ये दाँ मेरा गौं की दशा पेली  जन नि छे,
बग्वाल मा भेल्लो नि छौ, साली मा गौड़ी नि छे ,
ब्यो मा मन्याण नि छौ, झुमेलो की बथ नि छे,
हमुन ही मार देयी ये गौं ते,सब धाणी जाणी की,
वन ता मेरा गौं की किस्मत यन नि छे।
              -अतुल सती 'अक्स'   

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