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ना जाने कल तूने क्या कहा ?
लबों पर जुम्बिश हुई भी नहीं ,
और जो सुना वो थमता भी नहीं ..
ना जाने कल तूने हथेली पर क्या लिखा ?
कुछ दिखता भी नहीं ,
और जो लिखा वो मिटता भी नहीं ...
ना जाने किस तरह की करीबी का एहसास है?
तू करीब आता भी नहीं ,
और मुझसे दूर जाता भी नहीं ..
ना जाने किस तरह का ये यार-ए-दीदार है?
'अक्स' जाहिर होता भी नहीं ,
और सही से मुझसे छुपता भी नहीं ...
ना जाने कल तूने क्या कहा ?
लबों पर जुम्बिश हुई भी नहीं ,
और जो सुना वो थमता भी नहीं ..
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