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गुरुवार, 26 फ़रवरी 2015

गढ़वाल से भेर यू कण गढ़वाल




नौं का ही अब यख गढ़वाली बच्यां छन,
गढ़वाल से भेर सब्बि शर्मा बण्यां छन।     

पहाड़ सुखो कु जू हो त पहाड़ नि लगदु, 
दुःखो का ढेरा यख पहाड़ जन बण्यां छन।  

अपरा बच्चों कू भार त रूई जन हल्कू, 
अर बुए बुबा गर्रा पहाड़ जन लग्दा छन।     

हिंदी अर अंग्रेजी अब मातृपितर भाषा,
अर गढ़वली बुलाण मा कांडा पड़दा छन। 

देबता हुएगिन बाबा लोगूं की मूर्ती अब यख ,
अर कुल देवता घोर मा ढुंगा जन धोल्याँ छन। 

गढ़वाल से भेर वालों ते सरु गढ़वाल अब गौं,
अर गढ़वाल मा रैण वाला गौं वाला बण्यां छन।

अपरी पितरों की सैंती कूड़ी ते छोड़ छाड़ि की,
भेर देस मा, फ्लैट का कुमचरि मा कुचियां छन।
     
अपरी पहाड़ी पावन पछाण ते लुके की,   
गढ़वाल से भेर यू कण गढ़वाल बनौणा छन।   
                        -अतुल सती 'अक्स'     

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