"वाइफ स्वैपिंग ???" कह क्या रहे हो तुम ? तुम्हारा दिमाग ठिकाने पर तो है न? एक पल के लिए तुमने सोचा भी है कि तुम क्या कह रहे हो और उसके परिणाम क्या हैं?
अनुराधा लगभग चीख ही रही थी राहुल पर।
"डोंट बि सो डाउन मिडिल क्लास अनु, इसमें हर्ज़ ही क्या है? मेरे सारे दोस्त जो कि मेरे बिज़नेस पार्टनर्स हैं कुछ तो मेरे क्लाइंट भी हैं, सभी ये करते हैं। और आज कल तो ये सब हायर मिडिल क्लास में चलता ही है।"
"तुम तो जानती ही हो इन सब लोगों के बिना हमारा सरवाइव करना मुश्किल हो जायेगा। अमन इस बार पार्टी को होस्ट कर रहे हैं, और मुझे स्पेशली बोला है इसमें पार्टिसिपेट करने को। पूरे ६० करोड़ की डील होनी है, क्या पता हमें ही वो डील मिल जाये। और वैसे भी ये सब तो मैं बोल रहा हूँ तुम्हे करने को, कौनसा तुम मुझे कोई धोखा दे रही हो या मैं तुम्हे? सब कुछ हमारी जानकारी में ही तो होगा। बाकी सब भी तो ये ही करते हैं। राकेश, अमन , अनिरुद्ध ये सब कैसे इतने आगे बढे?कभी सोचा है?"
राहुल एक ही सांस में अनुराधा को मानाने की,समझाने की कोशिश कर गया।
राहुल और अनुराधा दोनों लगभग पांच साल से दाम्पत्य जीवन में थे। शादी की, जवानी की सारी खुमारी घर, गाड़ी, लोन में काफूर हो गयी थी। दोनों का एक ही बिज़नेस था और वो भी कुछ ढीला ढाला ही चल रहा था। अनु जानती थी की अगर ये डील मिलती है तो हालात सुधर जायेंगे। लेकिन किसी गैर मर्द के साथ सोना??? उसका मन गवारा नहीं कर रहा था?
राहुल के रोज के इमोशनल अत्याचार से परेशान हो कर या फिर उस डील की खातिर अनु मान गयी। और इस संडे वो तय समय पर तय पांच सितारा होटल में पहुँच गए। वहां ये चारों युगल मिले। साथ साथ खाया-पिया, जाम पर जाम के दौर चले। महिलाओं ने भी बढ़ चढ़ कर मदिरापान किया। डिस्को थेक में नाचे कूदे। और अब वो घड़ी आ ही गयी जिस घडी के लिए अनु घबरा रही थी।
...........
अगले दिन राहुल और अनु साथ साथ घर तो आये लेकिन नज़रें नहीं मिला पाये, न ही कोई बात ही हुई। चुप चाप रहे। उस घर का सन्नाटा चीख चीख कर रिश्तों की हत्या की गवाही दे रहा था। तभी उस सन्नाटे तो तोड़ती हुई मोबाइल की घंटी बजी। राहुल ने पिक किया और उसकी आँखों में चमक आ गयी। राहुल और अनु को वो डील मिल गयी थी। राहुल ने जैसे ही ये बात अनु को बताई दोनों ख़ुशी के मारे नाचने लगे और गले लग कर ख़ुशी का इज़हार करने लगे।
अंततः किसी तरह से बात चीत शुरू हुई तो अनु बोली
"अमन जी बड़े भले आदमी हैं। और तुम्हे पता है वो कवि भी हैं। कल रात तो उन्होंने मुझे इतनी कवितायेँ सुनायी कि पूछो मत। और तुम तो जानते ही हो मुझे कवितायेँ कितनी पसंद हैं। उनकी कविता सुनते उल्टे कब सुबह हो गयी पता ही नहीं चला।"
"अरे यार मैं तो बहुत ही बुरा फँसा, मिसेज अमन को तो तुम जानती ही हो ज्ञान, धरम, ज्योतिष में ऐसी डूबी रहती हैं कि कोई होश ही नहीं रहता। पूरी रात मुझे अपनी भविष्वाणी की कहानी सुनाती रही। कभी मेरा भविष्य बताती तो कभी देश का। उस औरत ने तो पागल ही कर दिया। बाई गॉड!!!"
राहुल जब ये सब बोल रहा था तो उसने अपनी अंगुलियां क्रॉस कर रखी थी। राहुल और अनु, दोनों ही जब भी झूठ बोलते हैं तो अपनी अँगुली क्रॉस करके ही बोलते हैं।
राहुल अपने कमरे की और जाने लगा तो पीछे से अनु बोली " राहुल मैं अभी भी वैसी ही हूँ जैसी पार्टी से पहले थी। मुझे अमन ने हाथ भी नहीं लगाया। उस रात कुछ भी नहीं हुआ, कसम से ।"
राहुल बस अनु को निहारे जा रहा था और मुस्कुरा रहा था, के तभी उसकी नज़र अनु के पीछे दीवार पर लगे आईने पर गयी। अनु की अँगुलियाँ भी क्रॉस थीं।
-अतुल सती 'अक्स'
इस ब्लॉग में शामिल हैं मेरे यानी कि अतुल सती अक्स द्वारा रचित कवितायेँ, कहानियाँ, संस्मरण, विचार, चर्चा इत्यादि। जो भी कुछ मैं महसूस करता हूँ विभिन्न घटनाओं द्वारा, जो भी अनुभूती हैं उन्हें उकेरने का प्रयास करता हूँ। उत्तराखंड से होने की वजह से उत्तराखंडी भाषा खास तौर पर गढ़वाली भाषा का भी प्रयोग करता हूँ अपने इस ब्लॉग में। आप भी आन्नद लीजिये अक्स की बातें... का।
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गुरुवार, 28 मई 2015
लघु कथा 4 : क्रॉस्ड अँगुलियाँ: -अतुल सती 'अक्स'
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