राहुल, शीतल के लिए उसके जन्मदिन पर फूलों का एक गुलदस्ता और एक तोहफा ले कर आया था और बाहर दरवाजे को खुला देख चुपचाप उसके कमरे की और बढ रहा था, कि अचानक उसको शीतल की आवाज़ सुनायी दी
वो अपनी पक्की सहेली गुंजन से फोन पर बातें कर रही थी।
"मैं राहुल से शादी नहीं कर सकती गुंजन !!!"
शीतल और गुंजन की ये बातें सुन कर राहुल के पाँव तले ज़मीन खिसक गयी, उसकी कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था कि शीतल ये सब क्यूँ कह रही थी। उसने चुपचाप उनकी बातें सुनने का फैसला लिया।
राहुल के दिल की धड़कन बढती ही जा रही थी। माथे पर बहुत खींचाव सा महसूस हो रहा था। एक अनजानी सी भावना जिसमे क्रोध, शंका और भय सम्मिलित था।
बहुत ध्यान से वो उनकी बातें सुन रहा था की आखिर पिछले पांच सालों से उसको प्रेम करने वाली लड़की अचानक ऐसा क्यूँ कह रही है? जबकि वो खुद अपनी और उसकी शादी की बात, दोनों की मर्ज़ी से अपने घर में कर आया है। और आज तक कभी शीतल ने शादी के खिलाफ कुछ नहीं कहा, तो फिर आज ऐसा क्यूँ कह रही है? उसके दिमाग में बवंडर सा चल रहा था की तभी उसने शीतल की आवाज़ सुनी।
" मेरी माँ ने मेरे लिए २० तौला सोना लिया है, १५ रेशमी साड़ी हैं, और एक कार का भी इंतज़ाम किया है मेरे पापा ने !!!. कुल मिला कर लगभग ६० लाख रूपये तक का दहेज़ मिलेगा मुझे!!!"
बहुत ख़ुशी सी झलक रही थी उसकी आवाज़ में.….
"लेकिन अगर मैं राहुल से शादी करुँगी तो ये सब तो गया यार हाथ से। वैसे भी मैं अपने खानदान में इकलौती हूँ आजतक बड़े नाज़-ओ-प्यार से पाला है मुझे। मैं उनकी इच्छा के खिलाफ नहीं जा सकती।"
"राहुल के पास है ही क्या??? न तो उसके पास कोई कार है न ही फ्लैट ??? न ही इतनी सैलरी की मेरे नाज़ नखरे उठा सके। उससे शादी कर के मैं क्या पाउंगी??? उल्टा ये सब जो मुझे मिलना है ये सब भी गवाउंगी। गुंजन सिर्फ प्यार से ही घर नहीं चलता है, पैसा भी चाहिए होता है, पैसा!!!"
"और जहाँ तक बात है राहुल की तो यार!!! I actually Love Him but cannot Marry Him......!!!"
ये बातें सुन कर राहुल फूलों का वो गुलदस्ता और वो तोहफा वहीँ दरवाजे पर रख कर, बिना बताये वहां से चला गया.… अपनी प्यार की नाकामी देख कर वो बहुत निराश था और उसने वो शहर ही छोड़ दिया और चला गया …… जाने कहाँ ??? किसी को नहीं पता ….
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इस ब्लॉग में शामिल हैं मेरे यानी कि अतुल सती अक्स द्वारा रचित कवितायेँ, कहानियाँ, संस्मरण, विचार, चर्चा इत्यादि। जो भी कुछ मैं महसूस करता हूँ विभिन्न घटनाओं द्वारा, जो भी अनुभूती हैं उन्हें उकेरने का प्रयास करता हूँ। उत्तराखंड से होने की वजह से उत्तराखंडी भाषा खास तौर पर गढ़वाली भाषा का भी प्रयोग करता हूँ अपने इस ब्लॉग में। आप भी आन्नद लीजिये अक्स की बातें... का।
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शनिवार, 30 मई 2015
लघु कथा 6: बातें -अतुल सती 'अक्स'
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