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बुधवार, 30 सितंबर 2015

हिन्द - कल्पना में

जिस हिन्द की कल्पना कभी की थी तुमने,
वहाँ हिन्दू भी था और मुसलमान भी था। 
जिस हिन्द को बना डाला है तुमने,
वहाँ हिन्दू ही है, बस मुसलमान ही है। 
   
मिटा दो ये टीके, जला दो ये टोपी। 
नहा लो लहू से, खेलो तुम होली। 
जला के घरों को मनाओ दिवाली। 
कटा दो गले, दे के तुम क़ुर्बानी।

जब नालिओं में सारा लहू बहाया करोगे ,    
के तब जा के आएगा सुकून तुमको, 
के जब हिज़ाब सर से उतारा करोगे,
और साड़ी के फंदे पर लटका करोगे,
के तब जा के आएगा सुकून तुमको,
जब अपनों को रोज जलाया करोगे ।   

कहीं पर कटी लाश होगी बेटे की,
कहीं पर बेटी को जलाया करोगे,
कहीं पर कोई माँ पड़ी होगी बेसुध,
कहीं पर कोई बाप मारा करोगे, 
के तब जा के आएगा सुकून तुमको, 
जब अपनों को रोज दफनाया करोगे।    

हिन्दू भाई मुस्लिम भाई भाई न रहेंगे, 
सबका कत्ल सरे आम किया करोगे,  
के तब रहेगी आन अपने मजहब की,
जब भगवा हरा, हरा भगवा करोगे,
के तब जा के आएगा सुकून तुमको,
जब दोज़ख को जमीं पर उतारा करोगे? 

गाय है हिन्दू, मुसलमान है बकरी,
सुवर है हराम और अपनी है मकड़ी,
के मंदिर में तुम राम चिल्ला न सकोगे,
भड़कती अज़ानों को चुप करा न सकोगे,
के मंदिर भी लाल, मस्जिद भी होगी लाल,
तुम्हारे रहनुमा का होगा ये कमाल,
कोई है जमाल तो कोई है जलाल,
लहू है अश्क ,यही होगा सूरते हाल,
तब तुम किस अवतार को निहारा करोगे?
के तब किस पैगम्बर को पुकारा करोगे?
के जब खत्म हो ही जाएगी ये धरती,
तब किस मुहं से उसको पुकारा करोगे?
के तब जा के आएगा सुकून तुमको, 
जब किसी के लहू से नहाया करोगे?  

भरे पेट की बातें हैं, ये दीन की बातें,
अँधेरी रातें बनाती ये बातें।
तू यूँ ही ठण्ड से ठिठुर के मरेगा,
कभी लू से धूं धूं कर के जलेगा,
के बेटी तेरी नोच कर खा जाएंगे,
माँ बेटी कोठे पर सजाया करेंगे,
और तुम बस यूँ ही घुन से पिसते ही रहोगे,
चिता पर अपने की  रोटी पकाया करोगे,
फिर तुम खाना भरपेट दीन की रोटी,
जिसे काफिर की चिता में सिकाया करोगे,
जो बोया है दो गज जमीन के नीचे,
उन्ही मजारों की जड़ में मट्ठा जमाया करोगे,
के तब जा के आएगा सुकून तुमको,
जब निशाँ हिन्द का खुद ही मिटाया करोगे।   
          

के तब लहू से सने हाथों को,
देखना अपने रीते हाथों को,
न मजहब का डंडा, न दीन का परचम,
हिन्द में ही हिन्द की चिता जल उठेगी।            
बना दो चिता तुम अपने ही धरम की,
के तब कालिख को लगाना सीने से,
जलाना भभूति, नहाना लहू से,
के तब जा के आएगा सुकून तुमको,
जब जानोगे के ये वो हिन्द नहीं हैं कहीं से,
के जिस हिन्द की कल्पना कभी की थी तुमने।


                  -अतुल सती 'अक्स'

                


समाचार:     कोटद्वार(उत्तराखंड) में कुछ मुसलामानों द्वारा चार हिन्दुओं की हत्या। 
                  ग्रेटर नॉएडा में कुछ हिन्दुओं द्वारा एक मुसलमान की गौवध के आरोप में हत्या।      
    

         

  
   
   
  

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